A True Seeker

Hindi Discourse

दूसरों पर दोषारोपण लगाने से पहले स्वयं का अवलोकन करो, अपने भीतर झाँको,और अपनी कमियों को हटाओ,

किसी से भी अनुकूलता-प्रतिकूलता, शत्रुता-मित्रता के लिए तुम ही उत्तरदायी हो, तुम ही जिम्मेदार हो|

दूसरा नही, दूसरा तो बस निमित्त है, अगर कोई तुमसे बुरा बर्ताव कर रहा है, तो तुम्हारी किसी कमी के कारण ही वह तुम्हारे प्रति बुरे बर्ताव के लिए निमित्त बना हुआ है, तुम्हारी जिस कमी के कारण वह तुम्हारे प्रति बुरे बर्ताव के निमित्त है,

अगर तुम्हारी वह कमी हट जाए, तो उसका तुम्हारे प्रति बुरा बर्ताव भी हट जाएगा,

किसी भी परिस्थिति में स्वयं को उत्तरदायी ठहराने पर (जिम्मेदार ठहराने पर) ही साधक का जन्म होता है, उससे पहले किसी भी अनुकूल अथवा प्रतिकूल परिस्थिति के लिए जब तक कोई दूसरों को जिम्मेदार ठहरा रहा है, जब तक कोई भाग्य आदि को जिम्मेदार ठहरा रहा है, तब तक उसका साधक के अर्थ में जन्म नही होता,

साधक किसी भी प्रतिकूलता में भाग्य, प्रारब्ध आदि को, किसी कल्पित ईश्वर, देवता, शैतान आदि को जिम्मेदार ठहराकर अपनी नैतिक जिम्मेदारी से भागता नही है,हर प्रतिकूलता में वह स्वयं को ही जिम्मेदार ठहराकर अपने भीतर की हर कमी को पूरी जिम्मेदारी से < पूरी ईमानदारी से हटाता है

English Translation

Before blaming others, observe yourself, look within, and remove your own shortcomings. You are the one responsible for any harmony or conflict, enmity or friendship with others. You alone are accountable.

The other person is not at fault; they are merely a medium. If someone is treating you poorly, it is because of a shortcoming within you that has made them a medium for that behavior. Their negative behavior towards you is due to your own flaw that has created this situation

If you eliminate that flaw within yourself, their negative behavior towards you will also disappear

A true seeker is born only when one holds oneself accountable in any situation. Until then, as long as one blames others or attributes circumstances, whether favorable or unfavorable, to factors like fate or external causes, the true birth of the seeker does not occur.

The seeker does not run away from his moral responsibilities by attributing any adversity to fate, destiny, any imaginary God, deity, devil, etc. In every adversity, he holds himself responsible and removes every shortcoming within himself with full responsibility and honesty.