Where To Focus During Meditation

Glossary: Drishti

जिस सीध में श्वास का आना हो रहा है<उसी सीध में श्वास का जाना भी हो रहा है, हर बार ही श्वास का आना-जाना एक ही सीध में हो रहा है,

इसलिए जब भी श्वास भीतर आती है, बाहर जाती है, उसके सीध को भलीभाँति याद रखते हुए उसके सीध में सावधानीपूर्वक पहले से ही स्मृतिपूर्वक सजग हो स्थिर हो जाओ, इस तरह बिना ज्ञात हुए (बिना मालूम हुए) एक भी श्वास नही छूटेगी

दृष्टि की स्थिरता के लिए स्थिर सीध का अवलंबन होना बहुत ही आवश्यक है, ध्यान रहे श्वास चलायमान है पर जिस सीध में श्वास का ज्ञान है वह सीध चलायमान न होकर स्थिर है

इसलिए चलायमान श्वास पर नही बल्कि श्वास के ज्ञानमात्र में उसके स्थिर सीध पर ही ध्यान रखना है, दृष्टि रखनी है कुछ साधक पूछते हैं कि ध्यान कहाँ रखना है, दृष्टि कहाँ रखनी है, उनके लिए यहाँ सांकेतिक उत्तर दे दिया गया है…….

अगर यह बात समझ में नही आ रही है तो यह बात समझ लो कि सांस का आना-जाना जहाँ मालूम हो रहा है बस वहीं पर ध्यान रखो, नजर रखो

अगर यह बात भी समझ में नही आ रही है तो नाक के छिद्रों में जहाँ श्वास का स्पर्श महसूस हो रहा है बस वहीं पर चुपचाप ठहरे रहो हिलना नही….. बिना हिले-डुले चुपचाप ठहरे रहो, बिना ठहरे दृष्टि नही खुलेगी, बुद्धि नही खुलेगी.

The direction in which the breath is coming in; in the same direction it goes out. Every time, the coming and going of the breath is happening in that very direction.

Therefore, whenever the breath comes in and goes out, remember its direction well beforehand and become carefully aware and still in its direction. In this way, not even a single breath will pass unnoticed (without you being aware).

For the stability of drishti (inner vision), a steady direction is needed. Note that while the breath is moving, the direction of knowledge of the breath is steady and not moving.

Therefore, one should not focus on the moving breath, but only on the mere knowledge of the breath in its steady direction. This answers a very common query by meditators on where to place their attention and drishti (inner vision).

If this is not clear, alternatively you can keep your attention and drishti (inner vision) on the point where the coming and going of breath is felt (known)

If this is still unclear, simply remain still and focused where you feel the breath touching the nostrils. Without staying still, your perception and understanding will not open.